वाराणसी में मौजूद रत्नेश्वर महादेव का मंदिर बेहद खास है। वैसे तो यहां ढेर सारी मंदिर है मगर इस मंदिर की एक अलग ही विशेषता है।
रत्नेश्वर महादेव मंदिर सैकड़ों सालों से 9 डिग्री पर झुका हुआ है, और वैज्ञानिकों के अनुसार इस का झुकाव बढ़ता जा रहा है!
चलिए, आज में Top gyan के इस आर्टिकल में आपको बताऊंगा रत्नेश्वर मंदिर की खासियत,उसका रहस्य और उससे जुड़ी पौराणिक कथाएं तो आइए शुरू करते हैं।
रत्नेश्वर महादेव मंदिर वाराणसी के बारे में…
वाराणसी शहर मंदिर और गंगा के घाट के लिए प्रसिद्ध है। वैसे देखा जाए तो यहां सैकड़ों मंदिर है पर इन्हीं सभी मंदिरों के बीच रत्नेश्वर मंदिर सभी के आकर्षण का केंद्र है।पर्यटक यहां दूर-दूर आते हैं है। यह मंदिर बनारस के मणिकर्णिका घाट के पास है।
मंदिर की बनावट बेहद खास है।
मंदिर की बनावत को ध्यान से देखा जाए तो अद्भुत शिल्प कारीगरी की गई है एक बात बहुत हैरान करने वाली है कि मंदिर के छज्जे की ऊंचाई जमीन से पहले 7से ८ फिर थी अभी सिर्फ 6 फीट रह गई है.
इससे साफ होता है कि मंदिर का झुकाव 9 डिग्री से बढ़ रहा है। मगर आज तक गिरा नहीं है। वही मंदिर की बनावत की बात करें तो बेजोड़ शिल्पकार की गई है।
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6 से 8 महीने पानी में डूबा रहता है!
दरअसल, यह मंदिर मणिकर्णिका घाट के एकदम नीचे है, जिसकी वजह से गंगा का पानी बढ़ने पर यह मंदिर 6 से 8 महीने तक पानी में डूबा रहता है। कभी-कभी पानी शिखर से ऊपर तक भरा रहता है। इसीलिए में मंदिर में केवल तीन चार महीने ही पूजा हो पाती है।
रत्नेश्वर महादेव मंदिर का रहस्य!
रत्नेश्वर महादेव मंदिर के विषय में इतना जानने के बाद आपके मन में जरूर ढेर सारे सवाल आए होंगे। इस मंदिर को लेकर कई सारे सवाल है।जिसका जवाब वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है।इसीलिए यह मंदिर को बेहद रहस्यमय माना जाता है। मैं यहां आपको मंदिर के कुछ रहस्य बता रहा हूं।
- सैकड़ों सालों से 9 डिग्री पर खड़े रहने के बावजूद भी मंदिर क्यों नहीं गिर रहा!
- वैज्ञानिकों के रिसर्च के अनुसार मंदिर का झुकाव बढ़ता ही जा रहा है ऐसा क्यों?
- 6 से 8 महीने पानी में रहने के बावजूद भी इस मंदिर को कोई नुकसान नहीं होता इसकी जगह अन्य किसी इमारत पहले ही साल गिर जाती है।
- मंदिर की उम्र को लेकर भी काफी मतभेद है।सही जानकारी का स्त्रोत सही नहीं है।
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मंदिर की उम्र को लेकर मतभेद है!
रत्नेश्वर महादेव की मंदिर की सही उम्र किसी को नहीं पता है खोजबीन करने पर जितने तरह के लोग इतनी तरह की बातें सामने आती। मैं यहां कुछ महत्वपूर्ण लोगों के दावे यहां बता रहा हूं
- मणिकर्णिका घाट के आसपास रहने वाले राजपुरोहित का कहना है कि यह मंदिर 15 शताब्दी में बनाया गया था
- रीजनल आरके लॉजिस्ट ऑफिसर के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था
- रेवेन्यू रिकॉर्ड के मुताबिक 1857 में मंदिर कब बनाया गया था
पीसा का मीनार vs रत्नेश्वर महादेव मंदिर
आपने इटली शहर में मौजूद पीसा का मीनार देखा ही होगा वह भी अपने झुके हुए आकार के कारण प्रसिद्ध है तो आइए आज हम दोनों की तुलना करके देखते हैं दोनों में क्या समानता है
- पीसा का मीनार 4 डिग्री झुका हुआ है जबकि रत्नेश्वर महादेव मंदिर 9 डिग्री पर झुका है
- विश्व धरोहर में शामिल है जबकि यह मंदिर विश्व धरोहर में शामिल नहीं है
- पीसा का मीनार 54 मीटर ऊंचा है जबकि यह मंदिर 13.14 मीटर ऊंचा है
- पीसा की मीनार का निर्माण कार्य शुरू होने के कुछ समय बाद पता चल गया है कि यह मीनार टेढ़ा हो रहा है जबकि रत्नेश्वर मंदिर पूरा बनने के बाद एकदम से झुक गया
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विश्व धरोहर में शामिल नहीं है
यह जानकर दुख होता है, कि इतना अदभुत मंदिर विश्व धरोहर में शामिल नहीं है! यह अपने अस्तित्व को खोता जा रहा है! सरकार भी इस मंदिर पर कोई विशेष ध्यान नहीं देती है
रत्नेश्वर महादेव मंदिर की पौराणिक कथा…
इस मंदिर की अगर पुरानी कथाओं के ऊपर ध्यान दिया जाए तो दर्जनों कहानियां निकल कर आती है।
जितने मुंह उतनी बातें!! मैं आपको कुछ प्रसिद्ध कहानियां बता रहा हूं।
1:अहिल्याबाई होल्कर का श्राप
जब अहिल्याबाई का शासन काल चल रहा था। तब उन्होंने बनारस के आसपास ढेर सारे मंदिर का निर्माण करवाए थे। उनके साथ रहने वाली एक दासी थी। जिसका नाम रत्नाबाई था। कुछ दासी की इच्छा थी कि वे मणिकर्णिका घाट के आसपस एक शिव जी का मंदिर बनवाए। उस दासी ने अपने पैसे लगाकर और थोड़ी बहुत अहिल्याबाई की सहायता से मंदिर बनवा लिया।
जब मंदिर का नामकरण करने का समय आया, तब दासी ने कहा कि ‘मैं इस मंदिर को अपना नाम दूंगी’। पर रानी अहिल्याबाई इसका विरोध किया, पर दासी नहीं मानी तो अंत में उसने उस मंदिर का नाम रत्नेश्वर महादेव मंदिर रखा जो उसी दासी के नाम से था इस बात से रानी अहिल्याबाई क्रोधित हो गई और उन्होंने शराब दे दिया जिससे मंदिर टेढ़ा हो गया
2: मां का कर्ज
16 वीं शताब्दी में बनारस में अनेक राजा यहां आकर कुछ समय के लिए रहते थे इन्हीं सभी राज्यों में से एक थे मानसिंह इनके साथ एक सेवक भी आए थे इनके सेवक की मां का नाम रत्ना भाई था सेवक के मन में था कि वह अपने मां के दूध का कर्ज उतार दे इसीलिए वह अपनी मां के नाम से एक शिव जी का मंदिर बनाने लगा उसने बनारस के मणिकर्णिका घाट को चुना वह सेवक ने मंदिर बनवाने के लिए राजस्थान से कारीगरों को बुलाया और अपनी शक्ति के अनुसार मंदिर को जितना अच्छा बनवा सकता था उतना अच्छा बनवाया जब मंदिर का काम पूरा हो गया तब वह सेवक हर जगह यही बात कहने लगा कि मैंने अपनी मां के नाम से मंदिर बनाकर उसके दूध का कर्ज उतार दिया है
यह बात जब उसकी मां को पता चली तो उसे बहुत दुख हुआ जब सेवक अपनी मां के लेकर पहली बार मंदिर दिखाने के लिए ले गया तब उसकी मां ने बाहर से ही वापिस जाने लगी सेवक सेवक को बहुत आश्चर्य होगा उसने मां से कहा मां अंदर चलो बाहर से क्यों जा रही हो अभी उसकी मां ने जवाब दिया बेटा यह मंदिर आधा बना है मैं इसमें पूजा कैसे कर सकते हैं यह जवाब सुनकर सेवक आश्चर्य में पड़ गया उसने जब पीछे घूम कर मंदिर को देखा तो मंदिर टेढ़ा हो गया था कहा जाता है कि मां के श्राप की वजह से रत्नेश्वर महादेव मंदिर टेढ़ा हो गया है
3: संत का क्रोध
18वीं शताब्दी की बात एक संत ने बनारस के राजा से इस मंदिर की देखरेख करने की जिम्मेदारी मांगी मगर राजा ने संत को अपमानित कर मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी देने से मना कर दिया इसी बात से संत क्रोधित हो गया और उसने श्राप दे दिया की यह मंदिर कभी भी पूजा के लायक नहीं रहेगा इसीलिए यह मंदिर 6 से 8 महीने पानी में डूबा रहता है
4: अमेठी के राजपरिवार ने इस मंदिर को बनवाया
बनारस जिले के सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष का यह दावा है कि 1857 में अमेठी के राज परिवार ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था उन्होंने इसे बनाने के लिए राजस्थान से कारीगरों को बुलाया था
आपको इनमें से कौन सी पौराणिक कथा अच्छी लगी और ज्यादा भरोसेमंद लगी कमेंट करके जरूर बताएं
रत्नेश्वर महादेव मंदिर कैसे पहुंचे
इस मंदिर के विषय में इतना जानने के बाद आपको यहां जाने की इच्छा जरूर पैदा हुई होगी यहां आपको आने के लिए सबसे पहले बनारस पहुंचना होगा आपको भारत के हर छोटे बड़े शहर से बस ट्रेन या हवाई जहाज के जरिए आसानी से आ जाएंगे बनारस पहुंचने के बाद आपको मणिकर्णिका घाट के लिए सीधे टैक्सी या कैप के जरिए आ सकते हैं
अखारी शब्द
तो आगे पोस्ट में हमने ‘रत्नेश्वर महादेव मंदिर’ के बारे में जाना हमने बात किया कि यह मंदिर कितना अद्भुत है। 9 डिग्री पर सैकड़ों सालों से झुका हुआ है।
इस मंदिर के रहस्य के बारे में भी बात किया और साथ में यह अभी जाना कि इस मंदिर से जुड़ी कितनी सारी पौराणिक कथाएं हैं। आपको रत्नेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ा यह पोस्ट कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं।
मेरे विचार
इस मंदिर के विषय में जानने,सुनने और लिखने के बाद मैं भी हैरान परेशान हूं। और मेरी भी बनारस जाकर रत्नेश्वर महादेव मंदिर घूमने की इच्छा हो गई है। सचमुच कितना अद्भुत है और रहस्यमई था हमारा इतिहास और इतिहास के लोग!!!
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Top gyan के इस आर्टिकल अंत तक पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!!
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Hi,मै अंकित शाह हूँ। मै इस वेबसाइट का मालिक और लेखक हूँ। पेशे से में एक लेखक और छोटा बिजनेसमैन हूं । मैं 20 साल का हूं और लेखन में मेरी काफी रूची है वैसे तो मैं मूल रूप से छपरा बिहार का हूं मगर मेरी कर्मभूमि सूरत गुजरात है।