सिंधु घाटी के समाप्त होने का क्या कारण है? यह सवाल वैज्ञानिकों को आज भी हैरान करता है। आपको बता दूँ कि सिंधु घाटी सभ्यता 8000 साल पुरानी है।सिंधु घाटी सभ्यता पतन कैसे हुआ? इसका किसी के पास भी सटीक जवाब नहीं है?केवल थियरी है।
सिंधु घाटी सभ्यता
वर्तमान समय में सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष पाकिस्तान अफगानिस्तान और भारत के कुछ क्षेत्रों में मिलता है। आज तक हमने सिर्फ भारत के बारे में यह सुना था, कि भारत का इतिहास बहुत पुराना है। मगर सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में पता चलने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत का इतिहास 8000 साल से कहीं अधिक पुराना है।
आपको बता दूँ कि सिंधु घाटी बहुत ही ज्यादा उन्नत सभ्यता थी। उनके पास आधुनिक मकान थे, सार्वजनिक स्नानागार था, पहली शौचालय सिंधु घाटी में ही बनी! ऐसा माना जाता है। नगर में पानी की व्यवस्था थी, गटर की व्यवस्था भी सिंधु घाटी में थी, पर आज यह सभ्यता समाप्त हो गई। इतिहास में ऐसी भी कोई सभ्यता थी, इस बात की गवाही धरती से मिले अवशेष देते हैं। तो आखिर ऐसा क्या हुआ सिंधु घाटी सभ्यता का पतन हो गया? दरअसल, सिंधु घाटी सभ्यता की शुरुआत 8000 साल पहले हुई थी और उसका विनाश 4000 साल बाद हुआ था। यानी कि इस सभ्यता ने अपना पूर्ण विकास 4000 साल में किया था ।चलिए आज के इस पोस्ट में हम यह जानते हैं, कि सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के क्या कारण है? मैं यहां आपको 10 कारण बता रहा हूँ।
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सिंधु घाटी के समाप्त होने का क्या कारण था?
वैसे अब तक वैज्ञानिक सटीक रूप से नहीं कह पाए रहे कि, सिंधु घाटी के पतन का क्या कारण था, फिर भी कुछ वैज्ञानिकों के अनुमान के मुताबिक मौसम का परिवर्तन के कारण यह सभ्यता समाप्त हो गई। चलिए विस्तार से जानते हैं की सिंधु घाटी सभ्यता कैसे खत्म हुई?
जलवायु में परिवर्तन
सिंधु घाटी सभ्यता के पतन होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन बताया जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार 4000 साल पहले पतन एक बार में नहीं हुआ। बल्कि थोड़ा-थोड़ा करके 400 सालों में हुआ। दरअसल सिंधु घाटी सभ्यता जिससे हड़प्पा समस्या भी कहते हैं। सिंधु नदी के किनारे बसी थी वह सिंधु नदी का आखरी छोड़ था पर वहां गर्मियों के मौसम में बहुत सूखा पड़ जाता था और बदलते मौसम के साथ साथ वहां पर अनियमित बरसात होने लगी जिसकी वजह से खेती करना लगभग मुश्किल हो गया था। अतः यह सभी लोगों को भारत के उत्तर की तरफ जाना पड़ा। मगर यहां पर भी इन लोगों का गुजारा नहीं हुआ। अंत में धीरे-धीरे करीब 900 सालों में इस सभ्यता का अंत हो गया।
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बार बार बाढ़ आना
बहुत से भू शास्त्रियों का यह भी मानना है कि सिंधु घाटी सभ्यता का अंत बार-बार सिंधु नदी में आने वाले बाढ़ की वजह से हुई थी। क्योंकि यह सभ्यता नदी के किनारे ही बसी थीं।
भूकंप
बहुत से पुरातत्व विभाग के वैज्ञानिकों का यह मानना है कि हिंदू घाटी सभ्यता का अंत बार बार आने वाले भूकंप की वजह से हुआ
महामारी
कुछ वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि सिंधु घाटी सभ्यता में अचानक से संक्रामक रोग फैल गया जिसकी वजह से पूरी सभ्यता का अंत हो गया।
पश्चिमी लोगों का आक्रमण
टॉयनबी जो की प्रसिद्ध इतिहासकार है उनका मानना है कि सिंधु घाटी सभ्यता का अंत पश्चिमी लोगों के आक्रमण के कारण अंत हुआ था। आमतौर पर ऐसा देखा गया है कि अनेक संस्कृतियों का खात्मा करने में बाहरी आक्रमणकारियों का हाथ होता है। दरअसल जब कोई सभ्यता संपन्न होती है तब हर एक चीज आसानी से हासिल हो जाने के कारण हो सभ्यता के लोग आलसी हो जाते हैं। जिसके कारण से पर आक्रमण करके विजय पाना बहुत ही ज्यादा आसान हो जाता है।
मेरे मतानुसार यह सारी विपदा सिंधु घाटी पर एक साथ आई होगी। पहले सिंधु नदी में बाढ़ आई होगी,उसके बाद अचानक से सूखा पड़ गया होगा, जिसकी वजह से महामारी फैल गई होगी। लोग यहां वहां सुरक्षित जगह पर चले गये होंगे। इस तरीके से 8000 साल पुरानी सभ्यता का अंत हो गया।
सिंधु घाटी सभ्यता की क्या विशेषता है?
कल्पना करिए आज से 8000 साल पहले बसा हुआ शहर! यह शहर पूर्ण रूप से सुसज्जित और व्यवस्थित था। इस शहर में करीब 30000 लोग रहा करते थे। इस शहर के मकान करीब दो से तीन मंजिला हुआ करते थे। हर एक के घर में बाथरूम और टॉयलेट हुआ करता था। घरों से निकलने वाले गंदे पानी को बाहर निकालने के लिए नालियां बनाई गई थी। यह नालियां जमीन के अंदर सभी छोटी-छोटी नालियों एक बड़ी नालि से मिलती थी, और यह बड़ी नाली शहर से दूर जाकर खत्म होती थी।
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सिंधु घाटी सभ्यता में स्विमिंग पूल मिला!
सिंधु घाटी सभ्यता में सार्वजनिक स्विमिंग पूल भी हुआ करता था। जिसकी तली में जाने के लिए सीढिया बनाए गए थे और कपड़े बदलने के लिए अलग से कमरा भी बनाया गया था। इसी में पूल की जमीन को पक्की ईंटों से बनाया गया था।
सिंधु घाटी सभ्यता में औरतों का काफी मान सम्मान होता था!
सिंधु घाटी सभ्यता में औरतों का काफी मान सम्मान था। सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई के दौरान औरतों की ढेर सारी मूर्तियां मिली है। इतिहासकारों के मतानुसार सिंधु घाटी में औरतों की स्थिति काफी अच्छी थी। यह भी माना जाता है कि सिंधु घाटी के लोग काफी धार्मिक है, और औरतों को देवी का रूप भी मानते थे। मगर हैरान करने वाली बात है कि एक भी मंदिर खुदाई के दौरान नहीं मिला है। इसका भी जवाब इतिहासकार देते हैं कि “शायद यह लोग अपने खेत आग और पानी और पेड़ की पूजा करते होंगे”।
सिंधु घाटी के लोगों के भोजन में मांसाहार भी था!
अभी हाल ही के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के पुरातत्व विभाग यह जांच में पता लगाया है कि सिंधु घाटी के लोग खानपान के मामले में मांसाहारी थे। उनकी अधिकांश का आबादी मोटी थी वह मांस में गायभैंस बकरी का मांस खाते थे। सिंधु घाटी की खुदाई के दौरान आसपास के इलाकों में 50 से 60% गाय भैंस की हड्डियां जबकि 10% बकरियों की हड्डियां मिली है। इससे यह साबित होता है कि सिंधु घाटी के लोग मांस खाते थे।
ऐसी बात नहीं है कि सिंधु घाटी के लोग केवल मांस खाते थे। बल्कि वहां पर खेती भी भरपूर मात्रा में होती थी। सिंधु घाटी की मुख्य फसल है चावल, गेहूं, जो, अंगूर, खीरा बैंगन, सरसों आदि होती थी। जिसका पूरा प्रमाण मिलता है।
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दुनिया को सिंधु घाटी के बारे में पता कब चला?
दरअसल 7 वीं शताब्दी में पंजाब के प्रांत में जब कुछ लोगों ने ईट बनाने के लिए मिट्टी की खुदाई की तब उन्हें जमीन में से बनी बनाई इसे मिल गई। वह के लोगों ने इसे भगवान का चमत्कार माना और उन इटो को निकालकर अपना घर बनाने लगे असल में यह सभी ईट सिंधु घाटी सभ्यता की थी।
- आधिकारिक रूप से करीब 1826 में चार्ल्स मैसेन ने पहली बार सिंधु घाटी सभ्यता का पता लगाया।
- 1856 में कराची से लाहौर के लिए रेलवे लाइन बनाने के लिए जब जमीन की खुदाई की गई तब हड़प्पा हड़प्पा के विषय में लोगों को पता चला।
- उसके बाद क्रमशः जगह जगह खुदाई होती गई और सिंधु सभ्यता का पता चलता गया।
- सिंधु घाटी सभ्यता के 1400 केंद्र खोजे गए जिसमें से 925 केंद्र का भारत में ही है।
सिंधु घाटी में कौन-कौन से शहर मिले?
- लोथल (गुजरात)
- चन्हूदड़ो ( पाकिस्तान )
- हड़प्पा (पंजाब पाकिस्तान)
- मोहेनजोदड़ो (सिन्ध पाकिस्तान लरकाना जिला)
- सूत कांगे डोर( पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में)
- कालीबंगा( राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में)
- बनवाली (हरियाणा के फतेहाबाद जनपद में)
- आलमगीरपुर( उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में)
- कोट दीजी( सिन्ध पाकिस्तान)
- सुरकोटदा (गुजरात के कच्छ जिले में)
आखरी शब्द
उम्मीद है कि आपको सिंधु घाटी सभ्यता के विषय में पूरी जानकारी मिल गई होगी। आज के इस पोस्ट में हमें सिंधु घाटी सभ्यता का अंत कैसे हुआ? और इनकी विशेषता क्या थी? यह सब जाना आप अपनी राय हमें कमेंट करके जरूर दीजिए।
मेरे विचार
कल्पना
के लिए 8000 साल पहले इतना आधुनिकता कैसे बना! यह इस बात का प्रमाण है कि आज के समय हम जितना आधुनिक है उतना ही आधुनिक सिंधु घाटी सभ्यता के लोग थे। मेरे मन में यह सवाल आता है कि रामायण आज से 7000 साल पहले हुआ था, तो क्या यह रामायण का ही अंस तो नहीं है? बड़ा सवाल है!!
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Hi,मै अंकित शाह हूँ। मै इस वेबसाइट का मालिक और लेखक हूँ। पेशे से में एक लेखक और छोटा बिजनेसमैन हूं । मैं 20 साल का हूं और लेखन में मेरी काफी रूची है वैसे तो मैं मूल रूप से छपरा बिहार का हूं मगर मेरी कर्मभूमि सूरत गुजरात है।