ईरान का मेमंद गांव : राजा महाराजाओं के किले आमतौर पर कितने साल पुराने होते हैं 500 से हजारों वर्ष मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि इस दुनिया में ऐसे भी लोग रहते हैं जिनके घर 10000 साल पुराने हैं जी हां, यह घर गुफाओं को काटकर बनाया गया है चलिए आज के इस पोस्ट में आपको ईरान का मेमंद गांव के बारे में बताता हूं।
हाईलाइट:
- वर्तमान समय में इस गांव की आबादी करीब 2000 है।
- 10 हजार साल पहले 150 वाले घर थे , अब सिर्फ 90 है।
- मेमंद गांव में मस्जिद भी है।
- गांव को 4 जुलाई 2015 यूनेस्को ने वैश्विक धरोहर घोषित किया है।
ईरान का मेमंद गांव | iran meymand village
ईरान की राजधानी तेहरान से करीब 900 किलोमीटर दूर शाहर-ए बाबाक शहर के पास यह मेमंद गांव।
इस गांव को 4 जुलाई 2015 यूनेस्को ने वैश्विक धरोहर घोषित किया है इसकी खासियत यह है कि यहां पर बहुत से छोटे बड़े गुफाएं हैं । इतिहासकारों के अनुसार यह पहली मानव बस्ती है। यानी कि आदिमानव ने पहली बार इसी जगह गुफा में रहना शुरू किया था। हालांकि वर्तमान समय में यहां खानाबदोश लोग रहते हैं जो पत्थरों को काट के आधुनिक घर की तरह बना कर रहे हैं।
यहां तो पत्थर सामान्य पत्थर की तुलना में थोड़े नरम होते हैं जिससे की गुफाओं को काटकर घर बनाना आसान होता है।
यह घर बाहर से तो गुफा की तरह दिखाई देते हैं मगर अंदर से अलग-अलग कमरों वाले और आधुनिक घर जैसे ही होते हैं।
वर्तमान समय में इस गांव की आबादी करीब 2000 है
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ईरान का मेमंद मे मौसम बे रहम
ईरान देश मैं जगह-जगह सूखे पहाड़ और पानी की कमी होने की वजह से यहां भयंकर गर्मी और ठंडी पड़ती है।
यहां के लोगों ने इससे बचने के लिए सूखे हुए घास फूस को अपने घरों की छतों पर रखते है जिससे यह गर्मी में ठंडी छाया लेते हैं और ठंड से बचने के लिए अपने गुफा वाले घर में रहते हैं जो अंदर से काफी गर्म रहता है।
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10 हजार साल पहले 150 वाले घर थे , अब सिर्फ 90 है।
इतिहासकारों के मतानुसार यह गुफा 10000 साल पहले आदिमानव काल के समय की हो सकती है उस समय तकरीबन 150 हुआ करते थे मगर अभी सिर्फ 90 ही बचे है।
ईरान का मेमंद गांव मे गुफा वाली घरों की बनावट
आपको ऐसा बिल्कुल भी नहीं सोचना चाहिए कि मेमंद गांव में गुफा वाली घर गुफा जैसी होगी। बल्कि आधुनिक घर जैसी होती है। इनमें अलग-अलग कमरे भी होते हैं और सभी कमरों का आकार 20 वर्ग फुट होता है यह गुफा के आकार पर भी निर्भर करता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इन गुफाओं में बिजली की भी आपूर्ति है जिससे यहां के घरों में टीवी फ्रिज पंखा आदि सब कुछ है ।
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मेमंद गांव में मस्जिद भी है।
जैसा कि आपको मैंने पहले बताया कि इस गांव की आबादी करीब 2000 है और इनमें ज्यादातर मुस्लिम है तो इसीलिए इस गांव में कुछ मस्जिदें भी है जहां पर नमाज अदा की जाती है। हालांकि ईरान देश का सबसे प्राचीन धर्म पारसी धर्म ही था यहां पर पहले पारसी भी रहा करते थे। जिसके निशान भी मिलते हैं पर बाद में जब साथी 7 वीं सदी में इस्लाम धर्म फैला तो फारसी लोग धीरे-धीरे खत्म हो गए।
मेमंद गांव की नई पीढ़ी रहना नहीं चाहती!
कुछ रिपोर्ट के अनुसार इस गांव की नई पीढ़ी आसपास के शहरों में रहना चाहती है हालांकि वे सब गर्मियों के मौसम में वापस अपने गांव आ जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक केवल 150 लोग ही साल भर इस गांव में रहते हैं। इसी वजह से ईरान सरकार को इस गांव की पहचान खो जाने का डर सता रहा है।
2001 के बाद से टूरिस्ट प्लेस बना।
ईरान की सरकार को यह डर सता रहा है कि कहीं लोग इसे भूल ना जाए! इसके लिए ईरान कल्चरल हेरिटेज हैंडीक्राफ्ट एंड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन इसे टूरिस्ट प्लेस के रूप में प्रचार प्रसार किया। जिससे यहां लोगो का आना-जाना लग गया। यहां पर लोग कुछ दिनों के लिए इन गुफाओं में रहते हैं ताकि वह प्राचीन समय में लोग कैसे रहते हैं इस बात का ज्ञान ले सकें।
आखरी शब्द
आशा करता हूं कि आपको ईरान का मेमंद गांव के विषय में जानकारी अच्छी लगी होगी। आज के इस पोस्ट में मैंने आपको बताया कि कैसे इस गांव के लोग 10 हजार साल पुरानी गुफाओं में बड़े ही आराम से रहते हैं और आज के समय यह एक टूरिस्ट प्लेस बन चुका है।
मेरे विचार
एक तरफ दुनिया में जहां हाईटेक और एडवांस तकनीक से बने घरों को लोग पसंद कर रहे हैं तो वही दुनिया के कुछ ऐसे ही लोग हैं जो 10000 साल पुराने गुफा नुमा घर में आज भी रह रहे हैं और उसे देखने और वहां रहने के लिए टूरिस्ट भी आते हैं यह काफी हैरान कर देने वाली बात है। अगर मुझे भी कभी ईरान जाने का मौका मिले तो मैं इस गांव में जरूर जाना चाहूंगा।
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Hi,मै अंकित शाह हूँ। मै इस वेबसाइट का मालिक और लेखक हूँ। पेशे से में एक लेखक और छोटा बिजनेसमैन हूं । मैं 20 साल का हूं और लेखन में मेरी काफी रूची है वैसे तो मैं मूल रूप से छपरा बिहार का हूं मगर मेरी कर्मभूमि सूरत गुजरात है।