तख्ते ताऊस (मयूर सिंहासन) इतिहास का सबसे कीमती सिंहासन है। जिसकी कीमत का अनुमान लगाना इतिहासकारों के लिए काफी मुश्किल था।
यह सिंहासन इतना कीमती इसलिए था क्योंकि इसको बनाने में बेशकीमती हीरे, सोने, जवारत आदि का उपयोग हुआ था। तख्ते-ए-ताऊस सिंहासन को मयूर सिंहासन भी कहा जाता है क्योंकि इसमें मोर की सुंदर सुंदर मूर्तियों को बनाया गया है।
फिर भी इतिहासकारों का कहना है कि उस समय मयूर सिंहासन की उस समय की कीमत 2 करोड 14 लाख 50 हज़ार के आसपास थी। ऐसे में आज के समय इस सिंहासन की कीमत का अंदाजा लगाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल है। मयूर सिंहासन का इतिहास बेहद ही रोचक है आज के इस पोस्ट में मैं आपको मयूर सिंहासन का इतिहास बताता हूं।
तख्ते-ए-ताऊस (मयूर सिंहासन) का इतिहास
तख्ते ताऊस का इतिहास बहुत ही उत्तल-पुथल भरा रहा है। इसे कई बार लूटा गया, तोड़ा गया और फिर से बनाया गया। शाहजहां के बाद इस पर कोई भी कोई भी राजा शांति से इस सिंहासन पर बैठ नहीं पाया। तो चलिए मैं आपको तख्ते-ए-ताऊस (मयूर सिंहासन) का इतिहास को विस्तार से बताता हूं।
मयूर सिंहासन को किसने बनवाया था?
मयूर सिंहासन मुगल बादशाह शाहजहां ने बनवाया था, ऐसा कहा जाता है। पर इतिहासकारों के बीच यह मतभेद भी है कि मयूर सिंहासन को शाहजहां ने नहीं बल्कि किसी और ने बनवाया था। पर वह किसने बनवाया था। इसका पता नहीं है। इतिहासकारों ने यह तर्क दिया कि अद्भुत चीज मुगल बना ही नहीं सकते है।
यह सिंहासन पहले आगरा के किले में रखा गया था। फिर बाद में शाहजहां ने इसे दिल्ली के लाल किले में स्थापित किया।
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तख्ते ताऊस (मयूर सिंहासन) की बनावट
मयूर सिंहासन की बनावट की बात करें तो इसकी बनावट ऐसी थी कि देखने वालों की आंखें चकाचौंध रह जाए। मयूर सिंहासन 13 गज लंबा 3 गजब चौड़ा और 5 गज पूऊंचा था। तख्ते ताऊस में 6 खंभे लगाए गए थे। जो पूरी तरीके से सोने के बने हुए थे। सिंहासन के पीछे की तरफ दो मोर और आगे की तरफ दो मोर अपनी सोच में रंग-बिरंगे मोतियों की माला लिए हैं।
राजा को सिंहासन पर बैठने के लिए तीन सीढ़ियों पर चढ़ना पड़ता था। यह तीनों सीढ़ियों की सोने और रत्नों से बनया गया था। मयूर सिंहासन के ऊपर बनाई गई छत में भी काफी ज्यादा हीरो जवाहरात लगाए गए थे। खुले आसमान में सूरज की धूप में यह सिंहासन इतना चमकता था कि देखने वाला देखता ही रह जाता।
तख्ते-ए-ताऊस (मयूर सिंहासन) की कीमत
तख्ते-ए-ताऊस (मयूर सिंहासन) की कीमत समय के मुताबिक कीमत 2 करोड 14 लाख 50 हज़ार रुपए थी। उसे बनाने में 7 वर्ष का समय लगा था। यह अपने समय का सबसे प्रसिद्ध और अद्भुत सिंहासन था।
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तख्ते-ए-ताऊस (मयूर सिंहासन) किसने लूटा?
तख्ते-ए-ताऊस (मयूर सिंहासन) को ईरान से आए नादिरशाह ने लूटा था। सब 1740 करनाल का युद्ध नादिरशाह और मोहम्मद शाह रंगीला के बीच हुआ था। तब मोहम्मद साहब की सेना केवल ढाई घंटों में हार गई थी। तब यह तय हो गया था कि दिल्ली की सत्ता पर नादिरशाह का ही का ही शासन होगा।
मगर नादिर शाह एक लुटेरा किस्म का राजा था। उसे भारत पर शासन करने से कोई मतलब नहीं था। वह लाल किले में मौजूद खजाने पर हाथ साफ करना चाहता था। उसने पूरे खजाने को लूट लिया और मयूर सिंहासन को भी अपने साथ लेकर चला गया।
तख्ते-ए-ताऊस नादिरशाह के पास भी ज्यादा समय नहीं रहा क्योंकि 1747 में उन्हीं के वंशजों ने उनकी हत्या कर दी और उनके द्वारा लूटे गए खजाने को एक बार फिर से लूट लिया। उन्होंने तख्ते-ए-ताऊस के हीरे जवाहरात को तोड़कर निकाल लिया। क्योंकि उन्हें सिंहासन भी खूबसूरती से कोई मतलब नहीं था।
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तख्ते ताऊस मयूर सिंहासन पर बैठने वाला अंतिम मुगल शासक कौन था?
तख्ते-ए-ताऊस (मयूर सिंहासन) पर बैठने वाला अंतिम मुगल शासक मोहम्मद शाह रंगीला था क्योंकि जब वक्त बदला और मोहम्मद शाह रंगीला का कब्जा ईरान पर हुआ। तब उन्होंने नादिरशाह के वंशजों को पकड़ के मयूर सिंहासन के अवशेषों का पता लगाया । उन्होंने नादिर शाह के वंशजों को बहुत ही ज्यादा अमानवीय यातनाएं दी।
सिंहासन के टुकड़े मिलने के बाद उन्होंने फिर से फिर से बनवाने का काम अपने राज्य के सबसे माहिर जोहरियो को दिया। उन जोहरियो ने सिंहासन के टुकड़े को जोड़-जोड़ कर एक नया सिंहासन बनाया। सिंहासन पुराने वाले मयूर सिंहासन से बिल्कुल अलग था पर फिर भी राजा को या पसंद आया।
तख्ते-ए-ताऊस (मयूर सिंहासन) कहां पर है?
जब मोहम्मद शाह ने इस सिंहासन का दोबारा निर्माण करवाया पर बदकिस्मती से मोहम्मद शाह सिंहासन पर बैठ भी नहीं पाया था। तभी लुटेरों ने उसे एक बार फिर से लूटा। इस बार लुटेरों ने सिंहासन को तोड़कर उसमें सेहीरो ,जवारात को निकाल कर समुद्र में कहीं छुपा दिया। आने वाले समय में मोहम्मद शाह ने उन लुटेरों को पकड़ के उनसे सच बुलवाने की काफी कोशिश की मगर वह नाकाम रहे। आज भी तख्ते ताऊस के अवशेष समुद्र में कहीं मौजूद है।
इसीलिए हम यह कह सकते हैं कि वर्तमान समय में तख्ते-ए-ताऊस कहां है यह किसी को नहीं पता।
आखिरी शब्द
उम्मीद है कि आपको तख्ते-ए-ताऊस (मयूर सिंहासन) का इतिहास पता चल गया होगा। इस पोस्ट में हमने जाना की कैसे शाहजहां ने इसे बनवाया था और नादिर शाह के द्वारा यह सिंहासन लुटा गया और अंत में यह लुटेरों के द्वारा अथाह समुद्र की गहराइयों में कही छिपा है। आप ऐसी रोचक जानकारी अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करें।
मेरे विचार
मयूर सिंहासन कितना बदकिस्मत है कि वह एक जगह पर किसी एक राजा के पास शांति से नहीं रह पाया। उसे हमेशा लूटा गया, तोड़ा गया। जो हरकत को कोहिनूर हीरे के साथ हुई वही हरकत मयूर सिंहासन के साथ भी हुआ। आज हमें मयूर सिंहासन मिल जाता है तो शायद भारत की दशा बदल जाएगी क्योंकि आज के समय में मयूर सिंहासन की कीमत अरबों रुपए में होगी।
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Hi,मै अंकित शाह हूँ। मै इस वेबसाइट का मालिक और लेखक हूँ। पेशे से में एक लेखक और छोटा बिजनेसमैन हूं । मैं 20 साल का हूं और लेखन में मेरी काफी रूची है वैसे तो मैं मूल रूप से छपरा बिहार का हूं मगर मेरी कर्मभूमि सूरत गुजरात है।