तमिलनाडु के महाबलीपुरम के पास है यह रहस्यमई पत्थर! इसे ‘कृष्णा बटर बॉल‘ के नाम से जाना जाता है।
यह पत्थर 1200 सालों से भी अधिक समय से तिरछी ढलान पर अटका हुआ है।
इस पत्थर को देखने के बाद आपको लगेगा कि अगले ही पल पत्थर आगे की तरफ लुढ़क जाएगा। आंधी-तूफान और लाख कोशिशों के बावजूद भी यह पत्थर अपनी जगह से 1 इंच भी नहीं हिला!
आइए,आज हमवTOP GYAN के इस आर्टिकल में आपको कृष्णा बटर बॉल की कहानी, इसका रहस्य और इतिहास सब कुछ विस्तार से बताऊंगा। और इसके पीछे का क्या विज्ञान है इसके बारे में भी बताऊंगा!तो चलिए शुरू करते हैं।
कृष्ण बटर बॉल का रहस्य!
1200 सालों से यह पत्थर अपने आप में ढेर सारे रहस्य लिए हुए हैं। जरा तस्वीर को देखिए ऐसा लग रहा है कि अगले ही पल आगे की तरफ लुढ़क जाएगा। इस पत्थर से जुड़े कई ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब न होने के कारण यार रहस्य बना हुआ है।
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वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च में यह पाया कि इस पत्थर का झुकाव 45 डिग्री है।तो आखिर इतना ज्यादा झुका होने के बाद भी यह क्यों नहीं गिर रहा है। सबसे बड़ा सवाल यही मन में आता है।
मनुष्य का स्वभाव का चंचल है। उसने इतिहास में अनेकों बार इस पत्थर को हटाने की कोशिश की मगर वे असफल रहे। इस पत्थर ने कई आंधी तूफान बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का भी सामना किया मगर यह अपनी जगह से 1 इंच भी नहीं हटा।
भगवान कृष्ण का मक्खन है यह पत्थर…
स्थानीय लोगों के अनुसार यह पत्थर कोई सामान्य पत्थर नहीं बल्कि भगवान ‘श्री कृष्णा‘ का मक्खन है जो स्वर्ग से गिरा है समय के साथ यह पत्थर बदल गया है।
विज्ञान के सारे नियम फेल!
कृष्णा बटर बॉल आकार में काफी ज्यादा बड़ा है इसकी ऊंचाई करीब 20 फुट चौड़ाई 5 फुट है। इसका वजन 250 टन है।विशाल पत्थर 1200से 4 फीट ऊंची ढलान पर अटका हुआ है।वह भी 45 डिग्री के कोण पर!! कोई अन्य सामान्य साथ ऐसा नहीं होता है। बाकी सभी पत्थर गुरुत्वाकर्षण बल के कारण से नीचे आ जाते हैं।मगर उस पत्थर के साथ ऐसा नहीं होता है। अंत में यह कहा जा सकता है कि भौतिक पत्थर के आगे फेल है।
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कृष्णा बटर बॉल को हटाने की हर कोशिश बेकार!
जैसा कि आपको पता है मनुष्य चंचल स्वभाव का है। उसके मन में हमेशा यहां बात खटकती है, कि आखिर यह पत्थर क्यों हटता। इसके लिए इतिहास में कई बार इसे हटाने की कोशिश की गई। क्या वे सफल रहे! चलिए अब मैं कुछ किस्सो के बारे में आपको बताता हूं।
पल्लव वंश के राजा की नाकाम कोशिश
एक बार पल्लव वंश के किसी राजा ने अपने सैनिकों को आदेश दिया, कि वह इस पत्थर को हटा दे। सैनिकों के काफी कोशिश के बावजूद भी वह इस पत्थर को 1 इंच भी नहीं निकला पाए। अंत में राजा ने हार मान ली और उस पत्थर को वैसे ही रहने दिया।
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अंग्रेज गवर्नर की नाकाम कोशिश
सन 1960 में चेन्नई के गवर्नर को इस स्थान पर कुछ निर्माण कार्य करवाना था। उन्होंने इस पत्थर को हटाने का आदेश जारी किया। काफी कोशिशों के बाद भी इस पत्थर को नहीं हटा पाए।
अंत में उन्होंने सात हाथियों का सहारा लिया। उन्होंने एक साथ सात हाथियों से इस पत्थर से खिंचवाया।मगर फिर भी यह टस से मस नहीं हुआ ।
अंत में उन्होंने भी हार मान ली और अपना इरादा बदल दिया।
कृष्णा बटर बॉल के पीछे का विज्ञान क्या है?
एक रहस्यमई पत्थर की पीछे का विज्ञान बताता हूं। दरअसल घर्षण और गुरुत्वाकर्षण का आपस में संतुलन ही इस पत्थर को ऐसी स्थिति में सैकड़ों सालों से रखी हुई है।
घर्षण पत्थर को आगे फिसलने से रोकती है और गुरुत्वाकर्षण बल चट्टान के एक निश्चित क्षेत्रों पर केंद्रित है।
यह अद्भुत संयोग बना है। जिसकी वजह से पत्थर अपनी जगह से नहीं हिलता है। और ना ही आगे की तरफ लुढ़कता है।
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फोटो खिंचवाने के लिए बेहतरीन जगह है
यहां आने वाले पर्यटक मुख्य रूप से अपनी फोटो खिंचवाने ही आते हैं।वह पत्थर के नीचे खड़े होकर ऐसा प्रतीत करते हैं कि वे को पत्थर उठाये हुए हैं और उस स्थिति में फोटो खिंचवाते हैं।
आखरी शब्द
आज हमने कृष्णा बटर बॉल के बारे में सब कुछ विस्तार से जान लिया है। आशा करता हूं,कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद ओर कहीं और जगह जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
मेरे विचार
भगवान का चमत्कार हो या भौतिक विज्ञान का संजोग यह पत्थर बेहद दिलचस्प है। ऐसे संयोग पृथ्वी पर बहुत ही कम जगह देखने को मिलते हैं। अगर आपको भी कभी महाबलिपुरम जाने का मौका मिले तो आप भी यहां जरूर जाइए
अगर आपको इस विषय में किसी भी तरह का सवाल है तो कमेंट में पूछिए और यह पोस्ट आपको अच्छा लगा तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।
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Hi,मै अंकित शाह हूँ। मै इस वेबसाइट का मालिक और लेखक हूँ। पेशे से में एक लेखक और छोटा बिजनेसमैन हूं । मैं 20 साल का हूं और लेखन में मेरी काफी रूची है वैसे तो मैं मूल रूप से छपरा बिहार का हूं मगर मेरी कर्मभूमि सूरत गुजरात है।