आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में मौजूद एक बेहद ही चमत्कारिक मंदिर है। जिसका नाम इसका नाम’लेपाक्षी मंदिर’ है।
लेपाक्षी मंदिर मंदिर में सबसे बड़ा चमत्कार यह है कि यहां 70 खभें हैं। जिसमें से एक खंभे का संपर्क जमीन से नहीं है। वह हवा में झूलता रहता है। आज सैकड़ों साल बाद भी रहस्य बना हुआ है कि, क्या जमील से संपर्क नहीं होने के बाद मंदिर को कोई भी नुकसान क्यों नहीं हो रहा है?
चलिए आज हम तो TOP GYAN के किस आर्टिकल में आपको ‘लेपाक्षी मंदिर‘ के बारे में विस्तार से बताएंगे।
लेपाक्षी मंदिर का रहस्य!!
लेपाक्षी मंदिर में कुल 70 खंबे है। सभी 69 खंबे एकदम सामान्य है।मगर एक खंभा ही चर्चा का विषय बना हुआ है। यह खंभा हवा में लटका हुआ है। इसका जमीन से कोई संपर्क नहीं है।
इस खभें को करीब 100 साल हो चुके हैं। मगर आश्चर्य की बात है कि मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ है। झूलते हुए पिलर की वजह से इस मंदिर को ‘द हैंगिंग पिलर टेंपल'(the hanging pillar temple) भी कहा जाता है।
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हर रोज देश-विदेश से लाखों लोग इस मंदिर में दर्शन करने जाते हैंऔर अद्भुत पिलर को देखते हैं।
पिलर के हवा में झूलने के पीछे अंग्रेज इंजीनियर का हाथ है।
एक बार एक अंग्रेजी में इस मंदिर का परीक्षण करने आया। उसने मंदिर की मजबूती को जांचने के लिए मंदिर के पिलर पर हथौड़े से वार किया। तभी से उसका संपर्क जमीन से छूट गया और बाकी के 24 किलर पर दरार आ गया। वह अंग्रेज इंजीनियर डर के मारे भाग गया। मगर मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।यहाँ आपको बता दूं कि यह बात कितनी सच है। इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता।
हालांकि, पुरातत्व विभाग का यह कहना है कि इस मंदिर को बनाया ही ऐसे गया है। ताकि लोगों के बीच चर्चा का विषय बने।
पिलर के नीचे से कपड़े गुजारिये और सुख समृद्धि लाइए।
झूलते हुए पिलर के नीचे से कपड़ा गुजारने की मान्यता है। लोगों का ऐसा मानना है कि यहां से कपड़ा गुजारने पर घर में सुख शांति और समृद्धि आती है। जो भी पर्यटक यहां आता है। पिलर के नीचे से एक बार कपड़ा जरूर गुजरता है।
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आप भी जब यहां जाए तो कपड़ा गुजारना ना भूले!
विशाल नंदी की मूर्ति जो एक ही पत्थर से बना है!
लेपाक्षी मंदिर के सामने नंदी की एक बहुत सुंदर मूर्ति है।जो एक ही पत्थर से बनी है। आपको बता दूं कि यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी एक ही पत्थर से बनी हुई मूर्ति है। इस मूर्ति की लंबाई 27 फुट और चौड़ाई 15 फुट है। इतनी बड़ी मूर्ति देखने के लिए पर्यटकों में काफी उत्साह रहता है।
माता सीता के पैर के निशान।
मंदिर के पास एक विशाल पैर के निशान है।जिसे माता सीता का बताया जाता है। कुछ लोगों के अनुसार यह भगवान राम का है। यह पैर के निशान सामान्य से काफी ज्यादा बड़े हैं।
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लेपाक्षी मंदिर 1583 में बनाया गया था।
मंदिर के निर्माण कार्य कौन से साल में हुआ था? इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। मगर फिर भी ऐसा मानना है कि, इस मंदिर का निर्माण 1583 में हुआ था।
ऐसा माना जाता है कि जब राजा विक्रमादित्य का शासन काल चल रहा था। तब उनके यहां दो भाई थे। जिनका नाम वीरूपन्ना और वीरपन्ना था। इन्हें दो भाइयों ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
पौराणिक कथाओं की माने तो इस मंदिर का निर्माण ऋषि अगस्ता ने किया था।
रामायण से जुड़ी है, लेपाक्षी मंदिर की पौराणिक कथा।
इस मंदिर की पुरानी कथा रामायण से जुड़ी है। कहा जाता है कि जब रावण माता सीता का हरण करके ले जा रहा था।तब जटायु ने रावण के साथयुद्ध किया था ।युद्ध के दौरान घायल होकर इसी स्थान पर गिर गया।
जब श्री राम जी ने जटायु को घायल अवस्था में देखा। तब उनके मुख से निकला ‘लेपाक्षी‘ जिसका मतलब होता है कि “हे पक्षी” दरअसल यह तेलुगु भाषा का शब्द है।इसीलिए इस मंदिर का नाम लेपाक्षी मंदिर पड़ा।
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लेपाक्षी मंदिर की वास्तुकला
लेपाक्षी मंदिर विजयनगर शैली पर बना है गर्वगृह के दरवाजे पर गंगा और यमुना देवी का सुंदर मूर्ति बनाई गई है। अंदर के कमरे में विष्णु और नटराज की मूर्तियां लगाई गई है।खंभों पर भगवान शिव के 14 अवतारों का वर्णन किया गया है। कुल मिलाकर कहा जाय तो मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है।
यह भी है लेपाक्षी मंदिर के आकर्षण का केंद्र…
ऐसा नहीं है कि सिर्फ झूलता हुआ खंभा इस मंदिर के आकर्षण का केंद्र है। कई ऐसी चीजें हैं जो इस मंदिर को खास बनाती है। आइए सभी चीजों को मैं एक-एक करके आपको बताता हूं।
1 घंटे में बना नागालिंगा!
इतिहासकारों की मानें तो लेपाक्षी मंदिर में बनाया गया नागालिंगा केवल 1 घंटे में बनाया गया है। जब कारीगरों इसका भोजन तैयार होने में 1 घंटे का समय था उसी समय में कारीगरों ने इसे बनाया।
खंबे पर बनी साड़ी की डिजाइन।
लेपाक्षी मंदिर के खंभों पर आपको सुंदर साड़ी के डिजाइन देखने को मिल जाएंगे। इन सभी डिजाइन को देखने पर लोग काफी हैरान होते।
माता सीता के पद चिन्ह।
जैसा कि मैंने आपको पहले बताया कि मंदिर में एक विशाल पद चिन्ह है। जो हमेशा गिला रहता है।ऐसा कहा जाता है कि यह माता सीता का है। मगर कुछ लोगों के अनुसार यह भगवान राम का है।
द हैंगिंग पिलर
हैंगिंग पिलर यही वह चीज है, जो पूरे मंदिर में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बना है द हैंगिंग पिलर यह मंदिर की विशेष पहचान है। दरअसल मंदिर में 70 खंबे है और एक खंभा जो है वह हवा में झूलता है। इसीलिए ‘द हैंगिंग पिलर’ कहा जाता है।
आखरी शब्द…
आज मैंने आपको लेपाक्षी मंदिर के बारे में बताया। लेपाक्षी मंदिर के रहस्य को भी विस्तार से समझाया हमने जाना कि लेपाक्षी मंदिर 1583 में बनाया गया था। और इसके आकर्षण का केंद्र एक खंभा है जो हवा में झूलता है ।
मेरे विचार…
इस मंदिर के विषय में रिसर्च और लिखने के दौरान मुझे इतना तो अनुभव हो गया कि आज से कई गुना ज्यादा तकनीक पुराने जमाने में भी थी। ज़रा आप सोचिए कैसे बिना किसी मशीनी सहायता से इतने विशाल और अद्भुत नकाशी वाले मंदिर को बना लिया गया। मुझे जब भी आंध्र प्रदेश जाने का मौका मिलेगा मैं इस मंदिर में जाना चाहूंगा। आपको भी जब कभी मौका मिले तो इस मंदिर में दर्शन जरूर करिए। क्यों कि यह आपको अपनी प्राचीन कला और तकनीक को याद दिलाएगा।
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Hi,मै अंकित शाह हूँ। मै इस वेबसाइट का मालिक और लेखक हूँ। पेशे से में एक लेखक और छोटा बिजनेसमैन हूं । मैं 20 साल का हूं और लेखन में मेरी काफी रूची है वैसे तो मैं मूल रूप से छपरा बिहार का हूं मगर मेरी कर्मभूमि सूरत गुजरात है।