देश के सबसे अमीर और प्रसिद्ध मंदिर तिरुपति बालाजी मंदिर है। इस मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति मौजूद है। यह मंदिर जितना भव्य है उतना ही रहस्यमय है। आइए आज के इस पोस्ट में है मैं आपको तिरुपति बालाजी मंदिर का रहस्य के विषय में बताता हूं। आपको बता दूं कि तिरुपति बालाजी मंदिर में कुछ ऐसे रहस्य हैं इसका जवाब किसी के पास नहीं है तो चलिए शुरू करते हैं की आखिर तिरुपति बालाजी मंदिर का रहस्य क्या है?
तिरुपति बालाजी मंदिर
इस पोस्ट में हम तिरुपति बालाजी मंदिर के 10 रहस्य!, तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास और तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहासके विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे !
तिरुपति बालाजी मंदिर का रहस्य?
तिरुपति बालाजी मंदिर एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है। यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। तिरुपति बालाजी का मंदिर समुद्र तल से 3200 फुट ऊंचाई पर तिरुमला पहाड़ियों में स्थित है। हर साल इस मंदिर में लाखों लोग दर्शन करने के लिए आते हैं और इस मंदिर के अनेकों रहस्य के बारे में अपनी आंखों से देख कर हैरान हो जाते हैं। तो चलिए मैं आपको यहां तिरुपति बालाजी मंदिर के 10 रहस्य बताता हूं।
1: मूर्ति पर लगे बाल असली है!
तिरुपति बालाजी मंदिर में मौजूद भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर लगाए गए बाल असली है, ऐसा माना जाता है। क्योंकि इस मूर्ति के बाल हमेशा मुलायम और रेशमी रहते हैं यह कभी नहीं उलझते मानो यह असली बाल है।
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2: मूर्ति के कानों के पास से समुद्र की आवाज आती है।
भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति के कानों के पास जाकर अगर आप ध्यान से सुनेंगे तो आपको समुद्रा के लहरों की आवाज सुनाई देगी। यह आवाजें कहां से आती है इसका जवाब वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है।
3: बिना तेल का जल्द आ गया।
मंदिर के गर्भ गृह में एक अखंड ज्योति जलती है यह ज्योति कब से और जल ही है। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। इस ज्योति को जलाने के लिए किसी भी तरीके की तेल, घी की जरूरत नहीं पड़ती है। वैज्ञानिकों के काफी शोध के बावजूद भी इस ज्योति के रहस्यों पर से पर्दा नहीं उठ पाया।
4:मूर्ति को लेकर आंखों का धोखा!
जैसे ही आप मंदिर गर्भ गृह में प्रवेश करेंगे तब आपको मूर्ति गर्भगृह के एकदम बीच में दिखाई देगा पर पर असल में मूर्ति गर्भ गृह के दाहिने तरफ स्थित है यह आंखों का धोखा है या चमत्कार या किसी को नहीं पता!
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5:परचाई का चमत्कार!
आमतौर पर किसी भी सामान्य पत्थर पर अगर परचाई कपूर लगाया जाए तो उस में दरार पड़ जाएगी। मगर श्री वेंकटेश्वर स्वामी की महिमा ही है कि कई दशकों से मूर्ति पर परचाई कपूर लगाया जाता है। पर फिर भी आज तक मूर्ति पर किसी भी तरीके की दरार नहीं आई।
6:मूर्ति पर लक्ष्मी मां की छवि!
भगवान बालाजी के सीने पर लक्ष्मी माता का चिन्ह बना हुआ है। जब गुरुवार को बालाजी का पूरा सिंगार उतार कर स्नान कराया जाता है और उनके सीने पर चंदन का लेप लगाया जाता है। बाद में चंदन का लेप हटाने के बाद उनके ही घर पर लक्ष्मी मां का चित्र उभर जाता है। वाकई आप किसी चमत्कार से कम नहीं!
7: रहस्यमई गांव
तिरुपति बालाजी मंदिर से 23 किलोमीटर दूर एक गांव है। यह गांव में बाहरी व्यक्ति का आना सख्त मना है। इस गांव के लोग मिले हुए कपड़े नहीं पहनते हैं
इसी गांव से मंदिर पर चढ़ाए जाने वाले फूल फल दूध दही आदि आता है।
8:भगवान बालाजी की मूर्ति को पसीना आता है।
भगवान बालाजी की मूर्तियां खास तरीके के चिकने पत्थर से बनी है मगर आपको यह तो मालूम होगा कि पत्थर से पसीना नहीं आता है। मगर भगवान बालाजी की मूर्ति से हमेशा पसीना आता है। जिसे पुजारी समय-समय पर पोचते रहते हैं।
9: वेंकटेश्वर स्वामी को धोती और साड़ी
वेंकटेश्वर स्वामी को धोती और साड़ी के साथ सजाया जाता है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि बालाजी में ही लक्ष्मी माता का स्वरूप है।
10: मूर्ति का पीठ हमेशा गीली रहती है।
भगवान तिरुपति बालाजी की मूर्ति की पीठ हमेशा गीली रहती है। जैसे किसी सामान्य इंसान को पसीना आता है ठीक उसी तरह!
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तिरुपति बालाजी की कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार तिरुपति बालाजी की कहानी बेहद रोचक है चलिए मैं आपको बताता हूं
दरअसल, एक महर्षि भुगु वैकुंठ भगवान विष्णु के पास आते हैं और जब भगवान विष्णु योग निद्रा में सोए हुए होते हैं। तब वह महर्षि भगवान विष्णु के सीने पर लात मरते है भगवान विष्णु ने क्रोध करने के बजाय उस महर्षि पर चरण पकड़ लिया और पूछा कि आपको पैरों में चोट तो नहीं आई! यह बर्ताव देखकर लक्ष्मी माता भगवान विष्णु से नाराज हो गई और उनकी नाराजगी का यह कारण था कि भगवान ने गुरु श्री को दंडित क्यों नहीं किया।
इसी का क्रोध लिए लक्ष्मी माता वैकुंठ छोड़कर चली गई लक्ष्मी माता ने पृथ्वी पर जाकर पद्मिनी नाम की लड़की का रूप लिया।
भगवान विष्णु की लक्ष्मी माता को ढूंढने के लिए अपना रूप बदलकर पृथ्वी पर गए। पद्मिनी अर्थात माता लक्ष्मी के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा और लक्ष्मी माता ने उसे स्वीकार भी कर लिया।
दोनों के विवाह में सबसे बड़ी समस्या धन की थी, जिसका समाधान करने के लिए भगवान विष्णु ने कुबेर महाराज जी को धन कर्ज के रूप में देने के लिए कहा कुबेर महाराज ने भगवान विष्णु को जितना धन चाहिए था। जिससे दोनों की शादी हो गई बाद में वे दोनों तिरुमला की पहाड़ियों पर रहने लगे। कर्ज लेते समय भगवान विष्णु ने यह शर्त रखी थी कि कुबेर महाराज का कर्ज कलयुग के अंत तक चुका दिया जाएगा और समय-समय पर व्याज भी में चुकाते रहेंगे।
इसी वजह से तिरुपति बालाजी मंदिर मैं जाने वाले लोग बालाजी को धन चढ़ाते हैं ताकि उनका कर्ज चुकता रहे।
तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास
तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास अभी तक अनसुलझा है
- इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि पांचवी शताब्दी में हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल था
- इस मंदिर को प्रसिद्धि 15वीं शताब्दी के बाद मिला था।
- तिरुपति बालाजी मंदिर पर नवी शताब्दी में कांचीपुरम पल्लव के शासकों ने कब्जा कर लिया था।
- 1845 से 1933 तक इस मंदिर की व्यवस्था को हातीरामजी मठ महंत ने संभाला था
उसके बाद से 1935 के बाद से वहां की वर्तमान सरकार ने इस मंदिर का प्रबंधन एक स्वतंत्र समिति जिसका नाम तिरुमला तिरुपति है उसे दे दिया।
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तिरुपति बालाजी मंदिर का प्रमुख आकर्षण केंद्र।
ऐसा नहीं है कि यहां के मुख्य आकर्षण का केंद्र तिरुपति बालाजी का मंदिर ही है। तिरुमाला पहाड़िया के बीच में यहां बहुत सारे मंदिर है।जो पर्यटक के बीच आकर्षण का केंद्र रहता है। तो चलिए मैं आपको तिरुपति बालाजी मंदिर का आकर्षण का केंद्र कौन-कौन से हैं यह बताता हूं
श्री पद्मावती समोवर मंदिर
यह मंदिर श्री पद्मिनी यानी माता लक्ष्मी को समर्पित है। जो कोई भी तिरुपति बालाजी के दर्शन करने आता है वह इस मंदिर में अनिवार्य रूप से आता है। क्योंकि इस मंदिर के दर्शन किए बिना तिरुपति की यात्रा अधूरी मानी जाती है।
श्री वेद नारायणस्वामी मंदिर
अगर आपको विजय नगर की वास्तुकला के दर्शन करना है। तो आप इस मंदिर में जरूर जाइए। यह मंदिर तिरुपति बालाजी से 70 किलोमीटर दूर है। इस मंदिर का निर्माण श्री कृष्ण देव राय ने करवाया था। मंदिर की सबसे खास बात है कि सुबह 6:00 से लेकर 6:15 तक मन्दिर में मौजूद प्रतिमा पर सूर्य किरण पड़ती है।
श्री चेन्नाकेशवस्वामी मंदिर
मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर हजार वर्ष पुराना है।इसका निर्माण प्रबंधन मस्ती राजाओं के द्वारा हुआ था। यह तिरुपति बालाजी मंदिर से 100 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मंदिर की सबसे आकर्षण का केंद्र रहा है।किसी स्थान पर अन्नामाचार्य का जन्म हुआ था।
श्री गोविंदराजस्वामी मंदिर
तिरुपति बालाजी मंदिर का दूसरा सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र है। श्री गोविंदराजस्वामी मंदिर यह मंदिर बालाजी के बड़े भाई गोविंदराजस्वामी को समर्पित है इस मंदिर का निर्माण 1130 में संत रामानुजाचार्य ने करवाया था।
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श्री कल्याण वेंकटेश्वरस्वामी मंदिर
यह मंदिर तिरुपति बालाजी से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर है। कथाओं में इस मंदिर का ज्रिक मिलता है। दरअसल जब पद्मिनी और भगवान बालाजी का विवाह हुआ था तब दोनों इसी स्थान पर रुके थे। इस जगह पर वेंकटेश्वर स्वामी की विशाल पत्थर की मूर्ति स्थापित की गई है।
श्री कोदंडरामस्वमी मंदिर
इस मंदिर का निर्माण 10 वीं शताब्दी में चोल वंश के राजा ने करवाया था। यह तिरुपति के एकदम बीच में है जहां राम सीता लक्ष्मण की मूर्ति स्थापित है।
श्री कपिलेश्वरस्वामी मंदिर
एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना कपिल मुनि ने किया था। इसीलिए इस मंदिर का नाम कपिलेश्वर स्वामी रखा गया। यह मंदिर तिरुपति बालाजी से 3 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मंदिर के पास से कपिला नदी गुजरती है। जो सप्तगिरि पहाड़ियों से निकलती है।
श्री करिया मणिक्यस्वामी मंदिर
वर्तमान समय में यह मंदिर जिस जगह पर स्थित है,वहीं पर भगवान विष्णु ने मकर को मारकर गजेंद्र हाथी को बचाया था। इस मंदिर को पेरुमला स्वामी मंदिर भी कहा जाता है।
स्वामी पुष्करिणी
यह एक खास तरीके का प्राकृतिक जल श्रोत है जिसके पानी का उपयोग केवल मंदिर के कामों में ही होता है। जैसे भगवान की मूर्ति को नहलाना साफ सफाई करना और पुजारियों के लिए ही होता है।
आकाशगंगा जलप्रपात
भगवान वेंकटेश्वर स्वामी को जब नहलाया जाता है तो वह जल तिरुपति मंदिर से 3 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ियों से निकलता है किसी स्थान को आकाशगंगा जलप्रपात कहा जाता है। बरसात के दिनों में यह मुख्य आकर्षण का केंद्र रहता है।
श्री वराहस्वामी मंदिर
यह मंदिर भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है। ब्रह्मा पुराण में यह बताया गया है, कि जो लोगों को तिरुपति बालाजी का दर्शन करना है उन्हें पहले दर्शन करने होंगे इससे होने वाला लाभ दोगुना हो जाता है।
श्री वेद नारायणस्वामी मंदिर
भगवान विष्णु के वराहस्वामी मंदिर के ठीक सामने यह मंदिर हनुमान जी को समर्पित है
टीटीडी गार्डन
सिटी गार्डन 460 एकड़ में फैला हुआ गार्डन है। इसी गार्डन से तिरुपति बालाजी मंदिर और अन्य सभी मंदिरों की फुल पतियों की जरूरत को पूरा किया जाता है। यहां आने वाले पर्यटक इस गार्डन में घूमते फिरते हैं और आराम करते हैं।
ध्यान मंदिरम
श्री वेंकटेश्वर स्वामी पर आधारित दिया है एक म्यूजियम है जिसकी स्थापना 1980 में की गई थी। यहां पर पारंपरिक पूजा सामग्री लकड़ी और पत्थर की बनी वस्तुएं प्रदर्शित की जाती है।
आखरी शब्द :
तो आज के इस पोस्ट में हमने तिरुपति बालाजी मंदिर का रहस्य! तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास और तिरुपति बालाजी मंदिर के मुख्य आकर्षण केंद्र के विषय में विस्तार से जानकारी ली!
मेरे विचार
तिरुपति बालाजी मंदिर देश का सबसे अमीर और प्रसिद्ध मंदिर तो है ही मगर इसके रहस्य अभी इस मंदिर की प्रसिद्धि का कारण है। समय-समय पर इस मंदिर में वैज्ञानिकों की टीम जांच करने के लिए गए मगर वह खाली हाथ ही लौटी क्या आपने कभी तिरुपति बालाजी के दर्शन किए हैं हमें कमेंट करके जरूर बताएं।
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Hi,मै अंकित शाह हूँ। मै इस वेबसाइट का मालिक और लेखक हूँ। पेशे से में एक लेखक और छोटा बिजनेसमैन हूं । मैं 20 साल का हूं और लेखन में मेरी काफी रूची है वैसे तो मैं मूल रूप से छपरा बिहार का हूं मगर मेरी कर्मभूमि सूरत गुजरात है।